छात्रावास अधीक्षक संजीत मोरे ने फर्जीवाड़े करने का खोजा नया तरीका ,शा0 सी0 अनु0 जाति बालक छात्रावास सुहागपुर नर्मदापुरम, पूरी खबर के लिए लिंक पर क्लिक करें
लूट मची है चारों ओर ,सारे चोर।।
एक जंगल और लाखों मोर, सारे चोर ।।
एक तरफ शासन व प्रशासन व्यवस्था में से फर्जीवाड़ों को समाप्त करने के लिए और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही है तो वही जनजाति कार्य विभाग नर्मदा पुरम के अंतर्गत आने वाला शासकीय सीनियर अनुसूचित जाति बालक छात्रावास सुहागपुर के अधीक्षक संजीत मोरे द्वारा फर्जीवांडे का इतिहास रचा जा रहा है, जहां एक आवेदक पत्रकार देवेंद्र सिंह यादव द्वारा सूचना के अधिकार अंतर्गत छात्रावास की जानकारी चाहिए गई तो अधीक्षक संजीत मोरे द्वारा अधिनियम के विरुद्ध मनगढ़ंत 1875 पेज की संख्या और 3 रुपए प्रीति पेज के हिसाब से 5625 राशि जमा किए जाने का लेख किया गया ।आवेदक द्वारा अधिनियम अनुसार ₹2 प्रति पेज के हिसाब से 3750 जमा किए गए,उसके उपरांत जब जानकारी उपलब्ध कराई जाने का अनुरोध किया गया तो अधीक्षक संजीत मोरे द्वारा लगभग 200 पेज की जानकारी जो ₹2 प्रति पेज के हिसाब से₹400 की होती है उपलब्ध कराई गई। जब जानकारी 200 पेज की थी तो इतनी अधिक राशि क्यों ली गई ।साधारण सी बात है कि अधीक्षक अपने फर्जी बाड़े को छुपाने के लिए इतनी अधिक राशि का उल्लेख कर आवेदक को जानकारी प्राप्त करने से रोके जाने का प्रयास था । आवेदक द्वारा इस मामले को जनजाति कार्य विभाग नर्मदा पुरम के वरिष्ठ अधिकारी के संज्ञान में लाया गया है अब छात्रावास की जांच होगी या नहीं,अधीक्षक पर कार्रवाई की जाती है या नहीं लीपा पोती की जाती है यह तो निकट भविष्य ही तय करेगा। साथ आवेदक ने इस मामले को कलेक्टर महोदय के समक्ष उपस्थित होकर कार्रवाई करने की बात कही है । इस प्रकार के मामलों से यह साफ पता चलता है की सूचना का अधिकार अधिनियम , फर्जी कर्मचारी और अधिकारी को क्यों चुभता है। क्यों लोगों को सूचना के अधिकार के तहत जानकारी की मांग करने वालों के खिलाफ शिकायतें और करना पड़ता है।।
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