वन विभाग की दमनकारी कार्रवाई के खिलाफ दिया गया ज्ञापन :केसला जिला नर्मदा पुरम
ले चला हमारी जान आकर जाना तेरा।।
ऐसे आने से तो बेहतर था ना आना तेरा।।
एक तरफ मध्य प्रदेश सरकार आदिवासियों के हिमायती होने का दावा करती है वहीं धरातल पर देखा जाए कि जिन आदिवासी समुदाय का जल जंगल जमीन पर हक अधिकार हुआ करता था आज वह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। ताजा की घटनाक्रम में वन विभाग द्वारा केसला विकासखंड पिपरिया कला के वन आदिवासियों पर दमनकारी करवाई की जा रही है । जिसमें वन विभाग द्वारा आदिवासियों के खेतों पर जेसीबी चला दी गई एवं वहां पर पीढ़ी दर पीढ़ी से रह रहे आदिवासियों को अपने निवास से अपनी कृषि भूमि से बिना किसी नोटिस बेदखल किया जा रहा है। आदिवासियों द्वारा बताया गया है कि शासन द्वारा ही हमें वन भूमि के पट्टे प्रदान किए गए थे परंतु आज उन्हीं को अस्वीकार कर रही है और उन पर लगाए गए दावों को मान नहीं रही है। इस संबंध में आदिवासियों द्वारा जिला कलेक्टर के समक्ष जनसुनवाई में सामूहिक रूप से आवेदन प्रस्तुत कर उचित कार्रवाई की मांग की और साथ ही आदिवासियों द्वारा उचित कार्रवाई न होने पर कड़ा विरोध और उग्र आंदोलन की बात की गई ।
आदिवासियों का कहना है कि हम मर तो सकते हैं पर जमीन नहीं छोड़ सकते क्योंकि वही हमारी रोजी रोटी है।
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