RTI अधिनियम की वास्तविकता आज का प्रशासनिक व राजनैतिक नजरिया, पत्रकार की भूमिका,लोकहित vs पार्दर्शिता! पूरी खबर के लिए लिंक पर क्लिक करें।

अगस्त 30, 2025 - 08:36
अगस्त 30, 2025 - 08:43
 0  148
RTI अधिनियम की वास्तविकता आज का प्रशासनिक व राजनैतिक नजरिया, पत्रकार की भूमिका,लोकहित vs पार्दर्शिता! पूरी खबर के लिए लिंक पर क्लिक करें।

अल्फाज के पर्दों में हम जिनसे मुखातिब हैं, वो जान गए होंगे।। फिर क्यों उनका नाम लिया जाए।।

 आरटीआई अधिनियम जिसकी मुख्य धाराओं से आज कोई अछूता नहीं, जो भारतीय संविधान के बाद एक ऐसा अधिनियम है जो आम जनता को शासन प्रशासन के कार्यों से स्वतंत्रता के साथ लोकहित में जुड़ने व काम करने का अधिकार देता है। स्वतंत्र और जागरूक राष्ट्र वादी लोगों ने इस अधिनियम को उसके असली अस्तित्व में पहुंचने के लिए अनेक कुर्बानियां दी है। उन कुर्बानियों का परिणाम समय समय पर लोकहित में कार्य करने वाले व्यक्तियों द्वारा इस अधिनियम के माध्यम अंजाम दिया गया है। परंतु आज आरटीआई लगाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ संगठित होकर ज्ञापन सौंपे पर जाते हैं झूठी शिकायतें की जाती हैं षड्यंत्र रचे जाते हैं, आखिर क्यों .....? आरटीआई अधिनियम के तहत यदि आवेदक को चाहिए गई जानकारी प्रदान की जाए तो शासन के राजस्व में बढ़ोतरी होगी कमी तो नहीं,फिर क्यों तुम्हें परेशानी होती है.....? तुम्हें परेशानी इसलिए होती है तुम दबाओ इसलिए महसूस करते हो , क्योंकि उसने इस अधिनियम के माध्यम से आपके भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कदम उठा लिया है। , आरटीआई के तहत जानकारी का ना देना या छुपा लेना यह व्यक्तिगत हित तुम्हारा है और जानकारी लेकर उजागर करना,उसका प्रकाशित हो जाना ये लोकहित हमारा है ,और इस कदम को उठाने मेंअग्रणी पत्रकार जगत के लोगों की भूमिका है,,, पत्रकारों के खिलाफ यह साजिश यह मक्कारियां,पत्रकारों की कलम को रोक नहीं पाएंगी। और ना ही कयामत तक पत्रकारों की कलम की स्याही खत्म होगी ये बात समझ लेनी चाहिए।वर्तमान सिवनी मालवा में एसडीएम सरोज सिंह परिहार द्वारा मीडिया कर्मी नरेंद्र रघुवंशी के खिलाफ झूठे आरोपों के तहत थाने में एफआईआर दर्ज करने की कार्यवाही की गई है बहुत निन्दायी है। समाज को जागरूक करने वाले पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट के खिलाफ ज्ञापन देने वालों को एक नाकाम कोशिश इस अधिनियम को समाप्त किए जाने की कर लेनी चाहिए, ताकि वह जान जाए कि सूरज की तपिश उनकी फूंकों से मिटाई नहीं जा सकती।और ऐसे ज्ञापन स्वीकार करने वाले अधिकारियों को यह जान लेना चाहिए कि वह किस बात पर किसका संरक्षण कर रहे हैं ,और क्या कर रहे हैं।।

 कलम से दोस्ती की, और सभी को छोड़ दिया।।

 इस कलम ने कितनों का भरम तोड़ दिया।। पत्रकार आशिक खान

आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow